1अगस्त से महंगे होंगे जूते-चप्पलों के रुपये आगरा के सरकार पर लोगो ने मचाया हड़कंप – आगरा न्यूज़”

1अगस्त से महंगे होंगे जूते-चप्पलों के रुपये आगरा के सरकार पर लोगो ने मचाया हड़कंप – आगरा न्यूज़” 1अगस्त 2024 से आगरा में चप्पल जूते के कीमत सरकार ने बढ़ाई जिसकी वजह से लोगो ने जताया आक्रोश जानिए आगे की खबर

1अगस्त से महंगे होंगे जूते-चप्पलों के रुपये आगरा के सरकार पर लोगो ने मचाया हड़कंप - आगरा न्यूज़"

खबर आगरा की 1अगस्त से महंगे होंगे जूते-चप्पलों के रुपये आगरा के सरकार पर लोगो ने मचाया हड़कंप – आगरा न्यूज़”

देश में अब भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से मान्यता प्राप्त फुटवियर ही बेचे जा सकेंगे। बीआईएस ने क्वालिटी कंट्रोल ऑडिट (क्यूसीओ) लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके कारण 1 अगस्त से जूते और चप्पलों की कीमतें 5% तक बढ़ सकती हैं। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।


फिलहाल, क्यूसीओ के दायरे में 50 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली शूज कंपनियाँ शामिल हैं, और इसका असर आगरा के 60 प्रतिशत शूज कारोबार पर पड़ेगा। सरकार का इरादा है कि कुछ समय बाद छोटे शूज कारोबारियों को भी क्यूसीओ के दायरे में लाया जाए।इसलिए, आगरा के छोटे शूज कारोबारी अब से ही इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले ही शूज पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया था, और अब क्यूसीओ लागू होने से उनके कारोबार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

हम बीआईएस को लागू नहीं होने देंगे

आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार गुप्ता ने कहा कि आगरा में जूता बनाने का काम एक छोटा उद्योग है, जो घर-घर में किया जाता है। यदि बीआईएस के नियम लागू हो गए, तो इसका असर करीब तीन लाख लोगों पर पड़ेगा। कुटीर उद्योग से जुड़े लोग बीआईएस के मानकों के मुताबिक जूते नहीं बना पाएंगे।

यदि उन्हें इन नियमों का पालन करना पड़ा, तो जूते और चप्पल की कीमतें काफी बढ़ जाएंगी। इससे उन्हें खरीददार मिलना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि दिल्ली और अन्य जगहों पर सस्ते जूते और चप्पल मिलेंगे। गुप्ता ने स्पष्ट किया कि वे बीआईएस के लागू होने का विरोध करेंगे और इसे लागू नहीं होने देंगे।

छोटे उद्योग बंद हो सकते हैं

शूज कारोबारी नारायण बैरानी ने बताया कि बीआईएस के तहत क्यूआईसी लागू होने से आगरा का छोटा उद्योग खत्म हो सकता है। घर-घर में जूते और चप्पल बनाने वाले कारखाने बंद हो जाएंगे, जिससे लाखों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे। इसके अलावा, बीआईएस के नियम लागू होने से भारत का शूज कारोबार चीन के मुकाबले पिछड़ जाएगा।

इसलिए, सरकार को पहले इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और फुटवियर उद्योग से जुड़े लोगों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। इसके बाद ही बीआईएस के नियम लागू करने पर विचार करना चाहिए।

पहले जीएसटी और अब क्यूआईसी से व्यापारी परेशान

आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के नए अध्यक्ष विजय सामा ने कहा कि पहले ही सरकार ने जूते पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू कर दिया है, जिससे आगरा के जूते व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही है। व्यापारियों ने अब जीएसटी में कमी करने की मांग की है। इसके अलावा, सरकार एक अगस्त से देशभर में क्वालिटी कंट्रोल ऑडिट (क्यूसीओ) लागू करने जा रही है।


क्यूसीओ लागू होने से आगरा के छोटे-छोटे जूते बनाने वाले कारीगरों और व्यापारियों को रोजगार के संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस उद्योग पर करीब 10 लाख लोग, जो सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से जूते कारोबार पर निर्भर हैं, प्रभावित होंगे।

मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पर फोकस

आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि सरकार बीआईएस मानक लागू करके चीन, वियतनाम और अन्य देशों से आने वाले सस्ते और कम गुणवत्ता वाले जूते पर नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रही है। इसके तहत, एक मूल्य सीमा निर्धारित की जाएगी, ताकि कम दाम के जूते और चप्पल आयात न हो सकें।


सरकार ने जूता निर्माताओं को दो साल तक अपने पुराने स्टॉक को बेचने की छूट भी दी है। केंद्र सरकार का मुख्य ध्यान ‘मेड इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर है। इसका उद्देश्य यह है कि सस्ते और गुणवत्ताहीन विदेशी जूते देश में न आएं, जिससे भारतीय फुटवियर निर्माताओं को लाभ होगा।

आगरा के जूते 60 प्रतिशत लोगों के बीच लोकप्रिय हैं

आगरा में लगभग 10,000 छोटे और बड़े जूते-चप्पल के कारखाने हैं, जो करीब दस लाख लोगों और चार लाख से ज्यादा परिवारों के लिए रोजगार का स्रोत हैं। रोजाना आगरा में पांच लाख जोड़ी जूते तैयार होते हैं, और आगरा का बना हुआ जूता देश के 65 से 70 प्रतिशत लोगों द्वारा पहना जाता है।


हाल ही में, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में देशभर के प्रमुख जूता निर्माताओं के साथ एक बैठक की। इस बैठक में बीआईएस मानकों के बारे में चर्चा की गई और जूता उद्योग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। जूता निर्माताओं ने अपनी चिंताओं और सुझावों को मंत्री के सामने रखा, और मंत्री ने उनके बिंदुओं पर ध्यान देकर कुछ सुझाव दिए।

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