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अवध ओझा ने क्यों कहा, ‘मैं कोचिंग छोड़ दूंगा, नहीं पढ़ाऊंगा’? जानिए इसकी वजह वार्तालाप के दौरान, शिक्षाविद अवध ओझा ने उजागर किया कि छात्रों को कानून बनाने के लिए प्रदर्शन करना एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है। उन्होंने इसे प्रोटेस्ट करने का एक उपाय बताया। उन्होंने अवध ओझा बताया कि छात्र इस बात पर विचार कर रहे हैं
कि शिक्षकों को लेकर क्यों आंदोलन नहीं किया जाता है, लेकिन जब कुछ शिक्षक आते हैं, तो उनके साथ अशिष्ट व्यवहार शुरू हो जाता है। उन्होंने इस विवाद पर भी रोशनी डाली कि राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे के प्रोटेस्ट में उनकी भागीदारी क्यों नहीं हो रही है।
दिल्ली के ओल्ड राजेन्द्र नगर में हुए कोचिंग हादसे से लोगों में गहरी चिंता और दुख जाहिर हो रहे हैं। इस घटना में बेसमेंट में पानी भरने से तीन यूपीएससी कैंडिडेट्स की मौत हो गई है। इस दुखद घटना के बाद, राजेंद्र नगर में छात्रों के बीच प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। उन्होंने अपने आप में उन शिक्षकों के प्रति भी आलोचना जताई है जिन्होंने इन कैंडिडेट्स की तैयारी में सहायक रहे और जो यूपीएससी के ज्ञानी शिक्षक माने जाते थे।
हादसे के बाद, जब इन शिक्षकों को खोजने में असमर्थता आयी तो अवध ओझा और विकास दिव्यकीर्ति जैसे नेताओं द्वारा छात्रों की तरफ से कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा। वे हाल ही में एक लल्लनटॉप इंटरव्यू में उन छात्रों के प्रदर्शन के बारे में सवाल उठाते हुए कहे कि उन्होंने क्यों नहीं हादसे के प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा, उन्होंने बेसमेंट में क्लास चलाने और छात्रों के प्रदर्शन करने के तरीके पर भी अपने विचार व्यक्त किए, जिसे लेकर विवाद उठा है।
बेसमेंट में तीन बच्चों की मौत पर अवध ओझा ने क्या कहा?
बेसमेंट में तीन बच्चों की मौत होने पर अवध ओझा ने अपना दुख व्यक्त किया और उन्होंने इसे एक गंभीर समस्या के रूप में दर्शाया कि बेसमेंट में क्लासेस चलाना वास्तव में खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि उनके एक दोस्त की भी बेसमेंट में सांस फूलने से मौत हो चुकी है। वे कहते हैं, “मुझे पूसा रोड पर बेसमेंट में क्लास मिल रही थी
जिसकी कीमत चार लाख रुपये कम थी। मालिक ने मुझसे कहा कि वह मुझे 18 लाख रुपये में बेसमेंट दे देंगे, लेकिन मैंने इनकार कर दिया क्योंकि मुझे बेसमेंट में जाने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं है। मुझे पता है कि बेसमेंट की क्या हालत है और अगर आज नहीं तो कल यहां के सभी बेसमेंट बंद हो जाएंगे।”
अवध ओझा ने क्यों कहा, ‘मैं कोचिंग छोड़ दूंगा, नहीं पढ़ाऊंगा’? जानिए इसकी वजह गुरूजी हो गए नाराज़ फिर हुआ ये
अवध ओझा ने बताया कि बेसमेंट एक कंस्ट्रेशन कैंप की तरह है, जहां अंदर जाने का कोई भी पूरी गारंटी नहीं होती। उन्होंने एक घटना साझा की जब उन्हें बेसमेंट में क्लासेस ले रहे थे और एक भूकंप का भीषण अनुभव हुआ। उन्होंने बताया कि जब बच्चे भागने लगे, तब उन्होंने उन्हें सलाह दी कि धीरे-धीरे बाहर निकलें, क्योंकि भागने से उनकी सुरक्षा पर कोई असर नहीं होगा। ओझा ने कहा कि बेसमेंट में बैठे लोगों को यह समझना चाहिए कि उनकी जान असंतुलित स्थिति में है, जैसे कोई दांव पर लगी हुई होती है।
पाठशाला बंद होने का किया नाटक
जब अवध ओझा से यह सवाल पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी शिकायत की है कि जो मालिक हैं, वे अपनी कोचिंग क्लासेस बेसमेंट में क्यों करवा रहे हैं, तो उन्होंने इस पर कहा कि कोचिंग संस्थाओं के पास यही एक विकल्प होता है कि आप ऐसी कोचिंग चुनें जहां क्लासेस बेसमेंट में नहीं होतीं। बड़ी कोचिंग संस्थाओं के सभी पास बेसमेंट में ही क्लासेस चलती हैं। वहां कई कोचिंग संस्थाएँ सील नहीं होतीं हैं। छोटी कोचिंग संस्थाओं को बंद कर दिया गया है, लेकिन बड़ी संस्थाओं को खुले रखा गया है।
जब उन्हें बताया गया कि दृष्टि आईएएस और अन्य बड़ी कोचिंग संस्थाएँ भी सील की गईं हैं, तो उन्होंने बताया कि 2023 में मुखर्जी नगर की एक कोचिंग संस्था में आग लगने के बाद बच्चों को कोचिंग संस्था से कूदते हुए देखा गया था। उस समय तो कहा गया था कि मुखर्जी नगर संस्था सील हो गई है, लेकिन वास्तविकता में यहां कोई सील नहीं लगाई गई थी। उस घटना में 61 बच्चों को चोट पहुंची थी, जबकि संस्था के काम चल रहे थे।
अवध ओझा छात्र विरोध नेताओं से बात करना चाहते हैं
मुझे पता है कि जो बच्चे प्रोटेस्ट कर रहे हैं, गुस्से में, उन्हें जो भी गाली दे रहे हैं, यह उनका हक है। वे गलत नहीं कर रहे हैं। वे बस इस बात का इजहार कर रहे हैं कि आप हमारे लिए क्यों नहीं लड़ रहे। लेकिन लड़ने का एक तरीका होता है। मैंने आज एक कार्यक्रम निकाला है। मैं इसी हफ्ते प्रदेश और केंद्र के नेताओं से मिलूंगा और अपना प्रस्ताव रखूंगा कि इस बारे में ध्यान दिया जाए कि भविष्य में ऐसी घटना हो तो कोई न कहे कि मैंने उसको अवगत नहीं किया था।